विशेष लेख भारत-निर्माण चित्र
गुजरात में नेतरंग में 24 से 28 सितम्बर 2012 तक का पांच दिन के भारत-निर्माण लोक महिती उत्सव (जन सूचना अभियान) और ध्वनि एवं प्रकाश नृत्य नाटिका जमुनिया का आयोजन किया गया।
नेतरंग भडू़च जिले के वालिया तालुका में राज्य के राजमार्गों के चौराहे के पास एक छोटा सा कस्बा है, जहां आदिवासियों की काफी संख्या है। भारत-निर्माण अभियान का मुख्य उद्देश्य मल्टीमीडिया मंच का उपयोग करते हुए लोगों को भारत-सरकार द्वारा शुरू किये गये विभिन्न् कल्याण कार्यक्रमों की जानकारी देना था।
इस अभियान के अंतर्गत भाषण, प्रदर्शन, परिसंवाद, फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से जानकारी देने के अलावा ग्राम स्तर पर संपर्क कार्यक्रमों और जन जागरूकता रैलियों का भी आयोजन किया गया।
पांच दिन के इस अभियान का प्रमुख कार्यक्रम था गुजराती में जमुनिया का प्रीमियर यानी पहला मंचन- यह एक ऐसी महिला की कहानी है, जो अपने फौलादी इरादे से अपने अधिकारों के लिए लड़ती है। यह कहानी बदलते भारत की तस्वीर पेश करती है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के संगीत और नाटक विभाग द्वारा एक विशाल मंच पर प्रस्तुत ध्वनि और प्रकाश के कार्यक्रम में 125 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया, जिनके साथ लगभग 100 तकनीकी कर्मचारी भी थे।
भारत-निर्माण लोक महिती उत्सव का उद्घाटन समारोह जन-जागरूकता रैली के साथ शुरू हुआ, जिसका आयोजन कार्यक्रम के बारे में एक वातावरण तैयार करने के लिए क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय द्वारा किया गया।
नेतरंग में लोक महिती उत्सव और जमुनिया की प्रस्तुति के कार्यक्रम के बारे में सूचना-पटों और पोस्टरों के माध्यम से लोगों को जानकारी पहले ही मिल चुकी थी। पांच दिन के इस जन-सूचना उत्सव का उद्घाटन गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक श्री इकबाल भाई पटेल और देदियापाडा विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री अमर सिंह वसावा ने परंपरागत द्वीप प्रज्ज्वलन से किया।
उद्घाटन समारोह में भारत-सरकार के विभिन्न् फ्लैगशिप कार्यक्रमों की झलक प्रस्तुत की गई।
श्री इकबाल भाई पटेल ने डीएवीपी द्वारा लगाई गई भारत-निर्माण चित्र प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी में लगे 60 पैनलों के जरिये विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं की मुख्य बातों और सफलता की गाथाओं को दर्शाया गया।
इस संध्या के कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण नृत्य-नाटिका जमुनिया का मंचन था। जैसे ही रात का समय शुरू हुआ, नेतरंग के निवासी अंकलेश्वर मार्ग के मैदान पर बने खुले विशाल मंच के सामने इक्ट्ठा होना शुरू हुए। नृत्य-नाटिका के शुरू होने से पहले परंपरागत जमुनिया चेतना मशाल प्रज्ज्वलित की गई, जो अपने अधिकार के लिए संघर्ष करने की प्रबल इच्छा का प्रतीक थी।
जमुनिया एक ऐसी बेसहारा औरत की कहानी है, जिसे पति की मौत के बाद जबरदस्ती उसके बच्चे से अलग कर दिया जाता है और गांव से बाहर निकाल दिया जाता है।
जमुनिया ने जीवन में कभी हार नहीं मानी थी। वह एक दूसरे गांव में जाकर रहने लगी, जहां उसने पढ़ना-लिखना सीखा और एक स्कूल शिक्षक से देश के लोगों की कष्ट भरी गाथाओं को सुना। शिक्षा उसके सशक्तिकरण का एक साधन बन गई।
यह कहानी एक ऐसी साहसी महिला की कहानी है, जो समाज में फैली बुराईयों के खिलाफ संघर्ष करती है और जिस गांव में आकर वह रहने लगी थी उसके उद्धार के लिए अपना जीवन समर्पित कर देती है।
जमुनिया को देखने आये लोगों में पुरूषों की बजाय महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी। जब भी वह बुराई के खिलाफ आवाज उठाती, जोरदार तालियों के साथ जनता उसका समर्थन करती। इस नृत्य-नाटिका के जबरदस्त संवादों तथा प्रकाश और ध्वनि के प्रभाव ने लोगों को पूरी तरह मंत्रमुग्ध कर दिया था।
जमुनिया आम आदमी के कल्याण के लिए भारत-सरकार द्वारा शुरू किये गए विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करने का एक प्रयास है। इसमें ग्रामीण लोगों के शहरों की ओर पलायन करने को रोकने में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना-मनरेगा की भूमिका, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के माध्यम से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, इंदिरा आवास योजना के जरिये गांवों के गरीब लोगों के लिए सस्ते मकानों की व्यवस्था, सर्वशिक्षा अभियान के जरिये सभी के लिए शिक्षा, साक्षर भारत के माध्यम से प्रौढ शिक्षा तथा सूचना का अधिकार कानून के जरिये नागरिकों के सशक्तिकरण आदि को दर्शाया गया है।
जमुनिया नृत्य-नाटिका में विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के साथ-साथ पत्र सूचना कार्यालय द्वारा आयोजित भारत-निर्माण लोक महिती उत्सव में वार्ता कार्यक्रमों और परिसंवादों के जरिये लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया।
इन योजनाओं के प्रचार के सिलसिले में अहमदाबाद और वडोदरा से बुलाये गये विशेषज्ञों ने ग्रामीण आवास, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, भारत-निर्माण, ग्रामीण बुनियादी ढांचा कार्यक्रम, सूचना का अधिकार, अल्पसंख्यकों के लिए प्रधानमंत्री का 15 सूत्री कार्यक्रम, युवा सशक्तिकरण, ऊर्जा संरक्षण और एड्स के प्रति जागरूकता से संबंधित मुख्य बातें लोगों को बताईं।
क्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए वन-भूमि अधिकार, आदिवासी कल्याण और कुपोषण के बारे में विशेष वार्ताओं का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ताओं में भारतीय प्रबंधन संस्थान अहमदाबाद के जन स्वास्थ्य सलाहकार डॉ. विनुभाई पटेल, नाबार्ड के सहायक महानिदेशक श्री सुनील जग्गी, पोषाहार विशेषज्ञ डॉ. वत्सलाबेन वसावा और वन अधिकार विशेषज्ञ डॉ. प्रभात वसावा शामिल थे।
पत्र सूचना कार्यालय, फोटा फीचर, मुंबई 04-अक्टूबर-2012 15:54 IST
मीणा/राजगोपाल/चन्द्रकला-256
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